Tuesday, January 17, 2006

बाल - कविता

एक होती चिऊताई
ती रोज गाणं गाई

एक होता राजू
तो खाई काजू

एक होता राम
त्याला यॆई घाम

एक होता वाचक
गोळी खाई पाचक

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home